*नमस्कार मित्रों__🙏*
मित्रो _#प्रकाश_जी_माली_ *ने राजस्थान परिवहन निगम के अधिकारियों द्वारा बातचीत का या उनके बर्ताव को हम तक अवगत कराया है पहली बात तो ऐसा बर्ताव जनता के आम आदमी के हर एक के साथ में होता है लेकिन कोई व्यक्ति इस मामले को इसलिए सहज रुप से नहीं लेता क्योंकि अगर कोई आम आदमी किसी पुलिस प्रशासन या परिवहन अधिकारी से यदि कोई बात पूछ ले या कोई सिस्टम की जानकारी पूछ ले तो उनके लिए आपत्तिजनक समस्या हो जाती हैं क्योंकि यदि कोई व्यक्ति अगर* *संविधान के अनुसार उसका पूरा अधिकार है कि सिस्टम क्या है पूछने का तो कई व्यक्ति को सिस्टम की जानकारी नहीं होती है तो कोई व्यक्ति उसको पूछता है तो अधिकारी के दिमाग में उसके लिए गुनाह साबित हो जाता है या उसकी गणित में वह गुनहगार हो जाता है और आम आदमी इस मामले में इसलिए उलझना नहीं चाहता क्योंकि भले ही वह सही है लेकिन उनके लिए गलत है और प्रश्न यह नहीं की परिवहन प्रशासन के* *अधिकारियों ने प्रकाश जी माली के साथ में इस तरीके से व्यवहार किया प्रश्न यह है कि आज भी यदि उनको जानकारी है और उन्होंने उनका हक से उनको पूछा लेकिन मेरा सवाल यह है कि वह उस जगह पर यदि कोई आम आदमी या हम आप होते तो क्या होता ?????????*
https://youtu.be/FDSv8SuxyTs
*मित्र देश की विडंबना यह है कि आज देश को आजाद हुए करीबन 70 साल हो गए परंतु आज भी जिस प्रकार से 70 साल पहले आम जनता के साथ में जो व्यवहार होता था* *वही व्यवहार आज हो रहा है मित्रों मुझे राजनीतिक भाषा नहीं आती लेकिन मैं साफ साफ शब्दों में कहना यह चाहता हूं कि आज जिस प्रकार से हर एक आदमी के साथ में प्रशासन द्वारा इस प्रकार का व्यवहार होता है उनको शायद यह मालूम नहीं की हमें पालने वाली भी जनता ही है वह आम जनता जिनके साथ हम एक अभद्र और अश्लील शब्दों के साथ में बात करते हैं अमानसिकता के तरीके से हमारे साथ व्यवहार करते हैं जबकि ऐसा कोई कानून नहीं है तो मेरा प्रशासन से अनुरोध है कि हम आप का सम्मान करते हैं परंतु आपको भी इस बात का पता होना चाहिए कि जिन पर प्रशासन अधिकारियों को काम पर रखा है तो वह जनता के साथ में दुर्व्यवहार या अभद्र शब्दों के साथ बात करने के* *लिए नहीं .......... जनता की सेवा के लिए रखा है और उन्हें पूरा ध्यान होना चाहिए कि प्रशासन का नियम क्या है सिस्टम क्या है क्योंकि यदि व्यक्ति नियम तोड़ता है तो भी उसके लिए गुनाह है और नियम नहीं तोड़ा और उनके अगर दिमाग में आ गया तो फिर वह उनके लिए नियम तोड़ने के बराबर है इसीलिए मेरा हाथ जोड़कर सभी से सभी परिवहन प्रशासन अधिकारियों से निवेदन है कि अपने मन से कोई नियम ना तो बनाएं ना कोई सिस्टम* *बनाएं क्योंकि यदि आपने अपने मन से कुछ भी सिस्टम बनाएं तो आम आदमी कि अपने मन से सिस्टम बना सकता है और आप जिस प्रकार से व्यवहार करते हैं उसी प्रकार आप के साथ व्यवहार हो सकता है भले ही आप के साथ पावर हैं परंतु उस पावर का दुरुपयोग ना करें अन्यथा यह भविष्य में एक आपत्तिजनक समस्या खड़ी हो सकती है..!!*
_धन्यवाद मेरे शब्दों से अगर आपको कुछ ठेस पहुंचे तो मैं दिल से आत्मिक रूप से आपसे माफी चाहता हूं..!!_
धन्यवाद
*शुभेच्छु:- प्रकाश जी माली मित्र मण्डल राजस्थान*
https://youtu.be/FDSv8SuxyTs
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