नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से आपका मेरेे नये आर्टिकल में आज में बात करने वाला हूं "थैली वाली आंटी" की!
चोकिए मत मे बात कर रहा हूं सुभागी आप्टे की जो रायपुर की रहने वाली है और उनकी उम्र 64 साल है, और वो अब तक 31हजार 856 थैले बांठ चुके है!
उनका कहना है कि जब उनके पति ऑफिस के लिए निकलते हैं वह भी साथ में निकल जाती है, शहर के बूटीक, टेलर्स और कपड़े की कतरनें इकठ्ठा करती है, और उनकी चेलियां बनाकर स्कूलों एवं अन्य संस्थानों को प्रदान करती है और करीब- करीब 6 साल से यह सिलसिला चलता आ रहा है। उनको लोग प्यार से थैली वाली आंटी के नाम से जानती है, उनका कहना है कि वो रायपुर को पॉलीथिन मुक्त बनाना चाहती है।
मुझे भी इंदौर के एक प्रोग्राम और से मिलने का मौका मिला उन्होंने उस प्रोग्राम में भी जितने भी लोग आए थे उन सभी को कपड़े की थैलियां प्रदान की जो कि एक पॉलिथीन मुक्त भारत के लिए बहुत ही अच्छा कदम है अगर प्रत्येक गांव और शहर में इस प्रकार की जागरूकता लाई जाए तो शत-प्रतिशत पॉलिथीन का इस्तेमाल खत्म हो जाएगा।
चोकिए मत मे बात कर रहा हूं सुभागी आप्टे की जो रायपुर की रहने वाली है और उनकी उम्र 64 साल है, और वो अब तक 31हजार 856 थैले बांठ चुके है!
थैली वाली आंटी के साथ में |
उनका कहना है कि जब उनके पति ऑफिस के लिए निकलते हैं वह भी साथ में निकल जाती है, शहर के बूटीक, टेलर्स और कपड़े की कतरनें इकठ्ठा करती है, और उनकी चेलियां बनाकर स्कूलों एवं अन्य संस्थानों को प्रदान करती है और करीब- करीब 6 साल से यह सिलसिला चलता आ रहा है। उनको लोग प्यार से थैली वाली आंटी के नाम से जानती है, उनका कहना है कि वो रायपुर को पॉलीथिन मुक्त बनाना चाहती है।
मुझे भी इंदौर के एक प्रोग्राम और से मिलने का मौका मिला उन्होंने उस प्रोग्राम में भी जितने भी लोग आए थे उन सभी को कपड़े की थैलियां प्रदान की जो कि एक पॉलिथीन मुक्त भारत के लिए बहुत ही अच्छा कदम है अगर प्रत्येक गांव और शहर में इस प्रकार की जागरूकता लाई जाए तो शत-प्रतिशत पॉलिथीन का इस्तेमाल खत्म हो जाएगा।
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