"हमारा सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग"
अपनी सबसे बड़ी बीमारी यह है कि लोग क्या कहेंगे हमें खुद की चिंता नहीं, हमें चिंता यह है कि दूसरे लोग मेरे को क्या कहेंगे, क्या समझेंगे ,क्या सोचेंगे ?यही भय हर समय सताता है.
क्या दूसरों के खराब कहने से हम खराब हो गए,
क्या दूसरों के कमजोर कहने से हम कमजोर हो गए, क्या दूसरों के बुरा कहने से हम बुरे हो गए ,
नहीं मेरे भाई बहनों
लोग तो अपनी मर्जी के हिसाब से कुछ भी कहेंगे अपन उन्हें रोक नहीं सकते ,क्योंकि यदि वह खुद बुरे गलत कमजोर और घटिया नजरिए के है तो उनके मन में जैसी बात आएगी वे तो वैसे ही कहेंगे उनके कहने से हमें नहीं डरना। हमारे डरने से वह हमें अच्छा कहेंगे कदापि नहीं फालतू का सोचना बंद करें जो खुद को अच्छा लगे मन को अच्छा लगे अपने परिवार को अच्छा लगे वही काम करें लोग क्या कहेंगे इस बीमारी को जड़ से उखाड़ के फेंक दें। नई दुनिया पुस्तक की कुछ शब्द
धन्यवाद
जय हिंद
जय भारत
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