लोग कहते है ज़माना फेशन का है, आप कुछ भी पहन के निकलो आपको कोई नही रुकेगा,,,,,पर एक बात हमेशा याद रखे आप एक भारतिय हो,,, आप बैकॉक से नही हो,हमे हमारा कल्चर ही भूलते जा रहे है,,,कपड़े शरीर ढंकने के लिए होते, बदन दिखाने के लिए नही,
आज का ज़माना बॉलीवुड का दीवाना बन चुका है कोई दीपिका का फैंन हैं तो कोई, माधुरी का, कोई सलमान का कोई आमिर,,,,मुझे कोई एतराज नही आप बनो इन सबके फेन,,,,,,थोड़े से इनके भी फेन बनो,,, इनके महाराणी झांसी की रानी लष्मी बाई, माँ सती पदमावती, हाड़ा रानी,, भगतंसिंह, चन्द्रशेखर आजद,,
महाराणा प्रताप,,,,इनके सबके नाम आपको जरूर याद हो गए, पर नक्से कदम आप बॉलीवुड के चलते हो,,,संस्कार ही संस्कृतियों के संवाहक हैं और संस्कृतियां समाज का निर्माण करती हैं।
यही संस्कार हमारे भीतर दूसरों का आदर-सम्मान करने की भावना जगाते हैं। बिना संस्कार के संस्कृति आगे नहीं बढ़ सकती। संस्कार और संस्कृति से ही मानव समाज की पहचान है। संस्कार और संस्कृति ही न रहे तो मनुष्य और जानवर में कोई अंतर ही नहीं रह जाएगा।,,,, धन्यवाद सा,,,,,वैसे आप कोनसे पहनावे को सही मानते हैं,,1,,,,,,,,,,,2
आज का ज़माना बॉलीवुड का दीवाना बन चुका है कोई दीपिका का फैंन हैं तो कोई, माधुरी का, कोई सलमान का कोई आमिर,,,,मुझे कोई एतराज नही आप बनो इन सबके फेन,,,,,,थोड़े से इनके भी फेन बनो,,, इनके महाराणी झांसी की रानी लष्मी बाई, माँ सती पदमावती, हाड़ा रानी,, भगतंसिंह, चन्द्रशेखर आजद,,
महाराणा प्रताप,,,,इनके सबके नाम आपको जरूर याद हो गए, पर नक्से कदम आप बॉलीवुड के चलते हो,,,संस्कार ही संस्कृतियों के संवाहक हैं और संस्कृतियां समाज का निर्माण करती हैं।
यही संस्कार हमारे भीतर दूसरों का आदर-सम्मान करने की भावना जगाते हैं। बिना संस्कार के संस्कृति आगे नहीं बढ़ सकती। संस्कार और संस्कृति से ही मानव समाज की पहचान है। संस्कार और संस्कृति ही न रहे तो मनुष्य और जानवर में कोई अंतर ही नहीं रह जाएगा।,,,, धन्यवाद सा,,,,,वैसे आप कोनसे पहनावे को सही मानते हैं,,1,,,,,,,,,,,2
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