श्याम जी पालीवाल को कल बहुत से

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श्याम जी पालीवाल को कल बहुत से

श्याम जी पालीवाल  को कल बहुत से हमारे गोस्वामी समाज के युवाओं ने फोन किया और माफी माँगवाने की बात की ,, में कोई कलाकारों का समर्थन नही करता हूँ लेकिन में एक बात समाज को बताना चाहता हूँ कि आज कल संगठन बनाकर किसी को माफी माँगवाने को होड़ लगी हुई हैं ,, ओर वो भी ज्यादातर कलाकारों को उसका कारण है कि कलाकारों का काम होता हैं बोलना तो उसमें कभी भी कुछ आजाता हैं ,, तो जिसकी कोई दुश्मनी होती हैं वो एक आदमी ऐसा ही मेटर ढूंढता हैं जिससे कि माफी मंगवाई जाए ,, मित्रो आज देखने जाए तो भगवा कपड़ा हर कोई पहनकर घूमता है ,, वो वास्तविक भगवा नही है ,, भगवे कपड़े बनाने के लिए गेरु की आवश्यकता होती हैं ,, अपने बुजुर्गों से पूछिए की भगवा केसे किया जाता हैं ,, आज नारंगी कलर भी ओर गहरा केशरी या पिंक कलर ये सब कलर अपनी अपनी पसंद बन गया है ,, ओर उसमे अगर कलर किया हुआ कपड़ा हैं वो चाहे नारंगी हो या सफेद उसका कोई दोष नही है ,, दूसरी बात ये है कि श्याम पालीवाल भी एक ब्राह्मण समाज से है और वो भी भगवा पहन सकता हैं ,, ओर आजकल हम किसी को नही कह सकते सब लोग पहनते हैं ,, भगवा बनाने के लिए गेरु द्वारा मंत्रोच्चार से किया गया हो उसकी मर्यादा करनी चाहिए 
हकीकत में देखा जाए तो जो कलर हैं वो भगवा नही है , असली भगवा गेरू से बनता था वही सही था ,, अब देखा जाए तो बहुत से लोगो के टुवाल ,चड्डी ओर लेडिस में पेटिकोट घाघरी ये ज्यादातर नारंगी कलर में देखने को मिलता है ,, वास्तविक रूप से देखा जाए तो आज हर इंसान के पास ये नारंगी कलर के कपड़े मिलते है लोगो का शोख बन गया है ,, सांचोर में हर लड़के के पास इस कलर के दुप्पट्टे रहते है ,, अब गोस्वामी समाज को पहचानने में भी दिक्कत हो रही हैं , इसलिए समाज के सभी लोगो से निवेदन करता हूँ कि सफेद कपड़ा लेकर उसको गेरू से रंगे ये गेरु का चढ़ाया हुआ रंग वास्तविक भगवा है ,, जो माता पार्वती ने उसको भंग से उतपन्न किया था ,, बाकी अब किसी को कहने जैसा नही है ,, ओर कहना भी नही चाहिये ,, क्योंकि अब ये भगवे कलर को सब लोग पहनने लग गए हैं ,, पहले ऐसा कलर होता था तो ,, दूसरी जाति के लोग उनकी मर्यादा करते थे और अपने बच्चों को नही पहने देते थे ,, आज  के लोग बहुत पहनकर ओर गले में डालकर घूमते हैं ,, आज भगवे के नाम पर धंधा हो गया है ,, भिखारियों से लेकर ओर पाखण्ड करने वाले सब भगवे से अपनी अपनी रोटी कमा रहे है तो किसी को कुछ नही कहे ,, ओर विचार मंथन करके ही किसी को टारगेट करें वैसे श्याम पालीवाल हमारे साधु संतों की मर्यादा करने वाले व्यक्ति हैं किसी भी व्यक्ति को ज्यादा टारगेट करोगे तो फिर सामने वाले को भी बुरा लगता हैं ,, वैसे मेने मेरे खुद के विचारों को प्रगट किया है ,, बाकी सबका अलग अलग दिमाग होता है ,, ओर अलग अलग बाते करते हैं ,, किसी को बुरी लगी है तो माफ कीजिये ,,
 © VikramSingh Valera


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