किसी फेसबुक यूजर को अपनी फ्रेंड लिस्ट में किस आधार जगह दी जानी चाहिए

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किसी फेसबुक यूजर को अपनी फ्रेंड लिस्ट में किस आधार जगह दी जानी चाहिए

किसी फेसबुक यूजर को अपनी फ्रेंड लिस्ट में किस आधार जगह दी जानी चाहिए , ये बहुत ही कठिन काम है। इस काम के लिए महीनों या वर्षों की जरूरत होती है जबकि हम कुछ सेकेण्ड या मिनटों में डिसीजन लेते हैं।

कुछ लोगों की प्रोफाइल पिक को पहली नजर में देखकर चोर जैसी फीलिंग आती है लेकिन जब हम उनकी वाल पर जाते हैं वहाँ बहुत शानदार पोस्ट होती हैं। यदि शक्ल देखकर हमने उसे रिजेक्ट कर दिया होता तो बहुत कुछ अच्छा पढ़ने से हम चूक जाते। इसके ठीक विपरीत कुछ लोग अपनी प्रोफाइल पिक नाम आदि से प्रभावित करते हैं लेकिन उनकी वाल पर कुछ शेयर्ड पोस्ट के सिवाय कुछ नहीं होता। लेकिन इन्हें भी केवल इस आधार पर रिजेक्ट कर दिया जाए तो एक बार फिर चूक हो सकती है। ये लोग अपनी वाल पर बेशक कुछ न लिखते हों लेकिन जब कभी आपकी पोस्ट पर कमेंट करने आते हैं तो अपना प्रभाव छोड़कर जाते हैं।

मेरे लिए ये हमेशा कठिन काम रहा है कि किसे जल्दी से जल्दी लिस्ट में शामिल करूँ या किसे तुरन्त बाहर का रास्ता दिखाऊँ। विरोधी विचार , किसी को लिस्ट से बाहर करने का मेरे लिए कभी आधार नहीं होता। 

मैं हमेशा इस खोज में रहता हूँ कि कौन अच्छा लिखता है। थोड़ी मेहनत लगती है लेकिन ऐसे लोग भी मिल ही जाते हैं लेकिन कई बार ये लोग निराश करते हैं। लोकप्रिय होने के कारण इनके समर्थक बहुत होते हैं  और अक्सर " चाय से ज्यादा हम केतली को गर्म देखते हैं ।" कई बार ये या इनके समर्थक आपकी प्रतिक्रिया से नाराज हो जाते हैं और गाली गलौच पर भी उतर आते हैं। जब ये गाली दें तो उपाय समझ आता है , ऐसे में इन्हें अन्फ्रेंड करना सही रहता है लेकिन जब इनके समर्थक गालियां दें तो समझ नहीं आता इनके साथ क्या करें। पॉपुलर लेखकों के साथ एक दिक्कत और है , ये आपकी पोस्ट पर कभी नहीं आते। कई बार यह मजबूरी में होता है तो कई बार अहंकारवश। इनसे फेसबुक पर मित्रता बनाये रखना सबसे कठिन काम है।

मेरे लिए फेक ID जैसी कोई चीज नहीं है। जो कथित वास्तविक ID हैं , उन्हें कौन सा सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाणित किया है ? इसलिए मेरी नजर में हर ID वास्तविक है। हर id को चलाने वाला कोई जीवित व्यक्ति ही है लेकिन कुछ IDs को मृत व्यक्ति भी चलाते हैं जैसे किसी कम्पनी की ID । इन्हें मैं दूसरे आधार पर बाहर करता हूँ। फेक और वास्तविक का वर्गीकरण उन लोगों ने किया है जो FB पर घर बसाने आते हैं। लेकिन मेरे लिए ये हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है कि किसे लिस्ट में शामिल करूँ या ना करूँ या बाहर करूँ। 

मैं सबसे ज्यादा कन्फ्यूज उन IDs के साथ होता हूँ जो किसी राजनितिक पार्टी का एजेंडा चलाते हैं। किसी पार्टी का समर्थक होना मेरे द्वारा आलोचना का आधार नहीं होता लेकिन इन लोगो के बारे में यह पता नहीं चलता कि ये किसी पार्टी के वास्तविक समर्थक हैं या डेढ़ रूपये प्रति पोस्ट करने वाले हैं। वैसे इन्हें पहचानने के तरीके मैंने विकसित कर लिए। ये लोग आपको पोस्ट छापने की मशीन जैसे दिखेंगे। इंसान होते तो पार्टी से अलग कुछ और भी विचार आते लेकिन इन्हें 24 घण्टे पार्टी और नेता ही दिखते हैं। इनकी वाल किसी एक पार्टी के समर्थन या विरोध से रंगी मिलेगी। इन्हें तो मैं पहली फुर्सत में बाहर करता हूँ।

लेकिन इस सब के बावजूद भी समस्या हल नहीं होती। मैंने इसका सरल सा तरीका निकाला है। कुछ सेकेण्ड या मिनटों में डिसीजन लेने की जगह , मैं बिना किसी जाँच के रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेता हूँ । जब उनकी पोस्ट दिखती हैं तो निर्णय हो जाता है कि उन्हें आदर के साथ रखना है या विदा करना है। इनसे अलग कुछ लोगों की रिक्वेस्ट एक झटके में अस्वीकार होती हैं , जिनकी ID हिंदी या इंग्लिश से अलग किसी भाषा में होती है या जो इनबॉक्स में कोई दवा या काली हल्दी बेचने आते हैं या किसी प्रोडक्ट का प्रचार करने आते हैं।

कुछ लोग मुझे बहुत पकाते हैं , जैसे प्रेम काव्य लिखने वाले या कृष्ण की विरहाग्नि में जलने वाले / वाली। मुझे लगता है प्रेम अनुभव करने का विषय है न कि गीत गाने का। हो सकता है प्रेम के बारे में मेरी समझ कम हो लेकिन इनसे भी मैं सहमत नहीं हो पाता। ये ऐतिहासिक कृष्ण की तलाश में घूमते रहते हैं जबकि हम जीवित कृष्ण सस्ते में खर्च हो रहे हैं। माना कि हम योगेश्वर कृष्ण के आसपास भी नहीं हैं लेकिन तुम भी तो राधा नहीं हो। आजमाकर देखो शायद हमसे ही तुम्हे मोक्ष मिल जाए....लेकिन नहीं , इन्हें वही कृष्ण चाहिए ।

फेसबुक पर कवि बहुत पकाते हैं यार। शब्दों की तुकबंदी ही कविता नहीं है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि तीन साल केवल कवितायें और गजल ही लिखी हैं। पब्लिश भी हुई हैं और एक दिन सब डिलीट कर दिया।कविता का अर्थ है बहना न कि लिखना। जब मुझे पता चला मैं केवल लिख रहा हूँ , सब डिलीट मार दिया। इसलिए हे कवियो मत पकाओ यार लेकिन फिर भी तुम मेरी लिस्ट में रहोगे चाहे मैं तुम्हे पढ़कर कितना भी झुँझलाऊँ। तुम्हारी खूबी ये है कि तुम प्रयास करते हो। बस इतना काफी है।

" ये सब मैंने यूँ ही लिख दिया है....सहमत होने के झंझट में मत फसना ।"

😊🙏संयम भू


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