स्वामी विवेकानन्द जो डेढ़ हजार पृष्ठो की पुस्तक को मात्र एक घंटे में पूरा याद कर लेते थे। उनके लिए मैं क्या लिखुँ ?

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स्वामी विवेकानन्द जो डेढ़ हजार पृष्ठो की पुस्तक को मात्र एक घंटे में पूरा याद कर लेते थे। उनके लिए मैं क्या लिखुँ ?

स्वामी विवेकानन्द जो डेढ़ हजार पृष्ठो की पुस्तक को मात्र एक घंटे में पूरा याद कर लेते थे। उनके लिए मैं क्या लिखुँ ? इतने शब्द मेरे पास कहा है ? लेकिन उनके जीवन का छोटा सा काल आपके साथ शेयर कर रहा हूँ। जिसने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया। अंत मैं मैंने अपने विचार भी शेयर किये है कि हम अपनी बुद्धि को इतना तेज़ कैसे बना सकते है ?

      यह उन दिनों की बात है जब स्वामी विवेकानंद जी अमेरिका के शिकागो शहर में अपना ऐतिहासिक भाषण देने गए हुए थे। अपने भाषण को सफलतापूर्वक पूरे विश्व के पटल पर रख कर , अन्य देशों का भ्रमण करने निकले। इसी क्रम में वह फ्रांसीसी प्रसिद्ध विद्वान के घर अतिथि हुए। स्वामी विवेकानंद ने उस विद्वान का आतिथ्य स्वीकार किया और उनके घर पहुंचे।

स्वामी जी का स्वागत घर में सम्मानजनक हुआ। स्वामी जी के रुचि अनुसार भोजन की व्यवस्था थी। विदेश में इस प्रकार का भोजन मिलना सौभाग्य की बात थी। भोजन के उपरांत वेद-वेदांत और धर्म की बड़ी-बड़ी रचनाओं पर शास्त्रार्थ आरंभ हुआ। शास्त्रार्थ जिस कमरे में हो रहा था , वहां एक मेज पर लगभग डेढ़ हजार पृष्ठ की एक धार्मिक पुस्तक रखी हुई थी।

स्वामी जी ने उस पुस्तक को देखते हुए कहा –  यह क्या है ?

मैं इसका अध्ययन करना चाहता हूं। फ्रांसीसी विद्वान आश्चर्यचकित हो गया।

उसने कहा स्वामी जी कहा यह दूसरे भाषा की पुस्तक है , आप तो भाषा को जानते भी नहीं है।

आप इतने पृष्ठों का अध्ययन कैसे कर सकेंगे?

मैं इसका अध्ययन स्वयं एक महीने से कर रहा हूं !

स्वामी जी – यह आप मुझ पर छोड़ दीजिए एक घंटे के भीतर में आपको अध्ययन करके लौटा दूंगा।

फ्रांसीसी विद्वान को अब क्रोध आने लगा , स्वामी जी इस प्रकार का मजाक मेरे साथ क्यों कर रहे हैं ?

किंतु स्वामी जी ने विश्वास दिलाया , इस पर फ्रांसीसी विद्वान ने मनमाने ढंग से वह पुःतक स्वामी जी को सौंप दिया।

स्वामी जी उस पुस्तक को अपने दोनों हाथों में रखकर एक घंटे के लिए योग साधना में बैठ गए।

जैसे ही एक घंटा बीता होगा , फ्रांसीसी विद्वान उस कमरे में आ गया।
स्वामी जी क्या आपने पुस्तक का अध्ययन कर लिया

हां अवश्य !

आप कैसा मजाक कर रहे हैं ?

मैं इस पुस्तक को एक महीने से अध्ययन कर रहा हूं।

अभी आधा भी अध्ययन नहीं कर पाया हूं , और आप कहते हैं आपने अध्ययन कर लिया।

हां अवश्य !

स्वामी जी आप मजाक कर रहे हैं !

नहीं तुम किसी भी पृष्ठ को खोल कर मुझसे जानकारी ले सकते हो !

उस विद्वान ने ऐसा ही किया।

पृष्ठ संख्या बत्तीस बोलने पर स्वामी जी ने उस पृष्ठ पर लिखा प्रत्येक शब्द अक्षरसः कह सुनाया।

फ्रांसीसी विद्वान के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं थी।

वह स्वामी जी के चरणों में गिर गया। उस विद्वान ने स्वामी जैसा व्यक्ति आज से पूर्व नहीं देखा था।

उसे यकीन हो गया था , यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है।
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अगर आपने यह कहानी पहली बार पढ़ी तो शायद आपको अकल्पनीय लग रही होगी। लेकिन यह एक सत्य घटना है। भगवान ने हमें बुद्धि के रूप में एक अनमोल रत्न दिया है। जिसके माध्यम में हम वो कर सकते है जो किसी के सोच से परे हो। तो आज मैं आपको कुछ चीज़े शेयर करने वाला हूँ। 
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✅स्वामी जी ने अपने जीवन में आध्यात्मिक पर सबसे ज्यादा बल दिया है। जिसको आपको इंटरनेट पर विस्तार से पढ़ सकते है। 
✅एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकि सब कुछ भूल जाओ। 
✅उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।
✅प्रतिदिन Meditation करें। जिससे आपकी बुद्धि तेज़ होती है। 
✅हमेशा दिमाग में अनावश्यक बातें नहीं भरें। 
✅स्वामी जी शब्दों की श्रृंखला को एक क्रम में बार बार दोहराते थे जैसे: राम, राम श्याम, राम श्याम रहीम। आदि
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कमेंट Box में आप भी स्वामी जी का एक गुण जरूर बताये।
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अंत में स्वामी विवेकानंद जी की 158 वीं जयंती ओर राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में आपको हार्दिक शुभकामनाएं।


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